आनंद, उमंग और उल्लास के पर्व गणगौर पूजा के कुछ मुख्य तथ्य
होलिका दहन की राख से मां गौरी की मूर्ति बनाकर पूजा कर रही महिलाएं, और उनका पूरा परिवार चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मनाए जाने वाले गणगौर पर्व की तैयारी में हैं |
साथियों,इस वर्ष Gangaur festival 2023 गणगौर का पर्व 24 मार्च को है | गणगौर पर्व की शुरुआत फाल्गुन माह की पूर्णिमा (होली) के दिन से शुरू होता है जो 17 दिनों तक चलता है |
इस दौरान सुहागन और कुंवारी कन्याएं माता पार्वती और शिव जी की पूजा करती हैं | इस पर्व की खास रोनक राजस्थान में देखने को मिलती है | आइए जानते हैं कैसे मनाते हैं इस पर्व को:-
राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात के कुछ इलाकों में भी यह पर्व मनाया जाता है |
यह समय महिलाओं के लिए सहेलियों के साथ भक्ति, गीत, नृत्य और आनंद का होता है | घर में उनके लिए अलग-अलग पकवानों के सिंझारे (पकवान खिलाना) करवाए जाते हैं |
कहा जाता है कि गीतों की गणगौर और सिंझारे शुभ और मंगल देते हैं | गणगौर शब्द गण और गौर दो शब्दों से मिलकर बना है |
जहां ‘गण’ का अर्थ शिव और ‘गौर’ का अर्थ माता पार्वती से है | दरअसल, गणगौर पूजा शिव-पार्वती को समर्पित है |
इसलिए इस दिन महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जाती है | इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है |
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होती है | अविवाहित कन्याएं भी यह व्रत करती हैं |
इस पर्व में महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाती हैं और उनकी दूर्वा और फूलों से पूजा करती हैं |
चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का दिन सबसे खास होता है | इस पर्व की कथा के अनुसार यह व्रत छिपाकर ही रखा जाता है |
इस पूजा की सबसे खास बात यह है कि महिलाएं इस पूजा को अपने पति से छिपाकर करती है और ना ही उन्हें पूजा का प्रसाद खाने को देती है |
गणगौर पूजा Gangaur festival 2023 वाले दिन महिलाएं व्रत-पूजा कर कथा सुनती हैं और मैदा, बेसन, या आटे में हल्दी मिलाकर गहने बनाए जाते हैं और माता को चढ़ाते हैं | फिर महिलाएं झालरे देती है |
नदी या तालाब के पास मूर्ति को पानी पिलाया जाता है और फिर अगले दिन इसका विसर्जन होता है |
जहां पूजा की जाती है उसी जगह को गणगौर का पीहर और जहां विसर्जन होता है वह जगह ससुराल माना जाता है |
गणगौर का पूजन कर कुंवारी कन्याऐ मनपसंद वर की प्राप्ति हेतु कामना करती है और विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करती हैं | यहां गणगौर के गीत दिए गए हैं जो पूजन के समय गाए जाते हैं |
गणगौर पूजा 2023
आपको बता दें कि इस साल गणगौर का पर्व 24 मार्च 2023 को है मनाया जाएगा | पंचांग के मुताबिक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 23 मार्च 2023 को शाम 6 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी |
और अगले दिन 24 मार्च 2023 को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी | बताते चलें कि गणगौर राजस्थान का मुख्य पर्व है लेकिन यह उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
गणगौर पूजा का महत्व
गणगौर दो शब्दों से मिलकर बना है ‘गण’ और ‘गौर’। गण का तात्पर्य है शिव और गौर का अर्थ है पार्वती |
धर्मग्रंथों के अनुसार इस दिन पार्वती जी सोलह शृंगार करके सौभाग्यवती महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए निकली थीं |
गणगौर पूजा का गीत
गौर – गौर गोमनी , ईसर पूजे पार्वती , पार्वती का आला – गीला , गौर का सोना का टीका , टीका दे टमका दे रानी , व्रत करियो गौरा दे रानी |
करता – करता आस आयो , वास आयो | खेरे – खाण्डे लाड़ू ल्यायो , लाड़ू ले वीरा न दियो , वीरो ले मने चूँन्दड़ दीनी , चून्दड़ ले मने सुहाग दियो |
वीरो ले मने पाल दी , पाल को मैं बरत करयो | सन – मन सोला , सात कचौला , ईसर गौरा दोन्यू जोड़ा । जोड़ जवाराँ गेहूँ ग्यारह , रानी पूजे राज में |
मैं म्हाके स्वाग में , रानी को राज घटतो जाय , म्हाको स्वाग बढ़तो जाय | कीड़ी कीड़ी कीड़ी ले , कीड़ी थारी जात ले |
जात ले गुजरात ले , गुजरात्यां रो पाणी , देदे तम्बा ताणी , ताणी में सिंघाड़ा , बाड़ी में बिजोरा |
म्हारो बाई एमल्यो , पेमल्यो म्हारो बाई एमल्यो सेमल्यो , सिघाड़ाल्यो , झर झरती जलेबी ल्यो , नी भावे तो और ल्यो , सोई ल्यो |
( यह आठ बार बोले ) अंत में एक ल्यो , दो ल्यो , तीन ल्यो , चार ल्यो , पाँच ल्यो , छः ल्यो , सात ल्यो और आठ ल्यो |
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