Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography | जानिए, शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

साथियों, आज इस आर्टिकल में हम आपको छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देने जा रहे हैं अतः आप इस लेख को अंत तक पढ़ें और समझें | 

शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और एडिटर शासक थे | रामायण और महाभारत का अभ्यास वह बहुत ही ध्यान से करते थे | 

समर्थ गुरु रामदास आज इसलिए भी स्मरण किए जाते हैं, क्योंकि वह छत्रपति शिवाजी महाराज के आध्यात्मिक गुरु थे |

हमारे देश में कई अन्य राजाओं की तरह छत्रपति शिवाजी महाराज भी भारत के राजा और रणनीतिकार थे | सन 1674 में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी |

शिवाजी ने कई वर्षों तक औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया | सन 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने | 

उन्होंने अपनी अनुशासित सेना तथा सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील शासन प्रदान किया | 

तथा प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को दोबारा जीवीत किया और फारसी के स्थान पर मराठी और संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया | 

शिवाजी गणेश जी के उपासक थे इतिहास में यह वर्णन मिलता है कि शिवाजी महाराज के बचपन के समय में ही मां जीजाबाई ने पुणे में ग्राम देवता कस्बा गणपति की स्थापना की थी | 

Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography (छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवन परिचय)     

Birth place of shivaji (शिवाजी का जन्म स्थान)

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 Feb.1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था | उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और उनकी माता का नाम  जीजाबाई था |  

छत्रपति शिवाजी के बड़े भाई का नाम संभाजीराजे था जो अधिकतर समय अपने पिता शाहजी भोंसले के साथ ही रहते थे |

शिवनेरी का दुर्ग (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नर नगर के पास था |  शिवाजी महाराज भोंसले उपजाति के थे जो कि मौलिक रूप से क्षत्रिय मराठा जाति के थे |  

इसलिए उन्हे शिवाजी राजे भोसले के नाम से भी जाना जाता था | गागाभट्ट के अनुसार शिवाजी का वंश मेवाड़ के प्रसिद्ध गुहिल सिसोदिया वंश से मिलता है | 

उनकी माता जी जीजाबाई जाधव कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली थी और उनके पिता एक शक्तिशाली सामंत थे |

शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा | बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओँ को भली प्रकार समझने लगे थे | 

शासक वर्ग की करतूतों पर वे झल्लाते थे और बेचैन हो जाते थे | बचपन में ही उन्हें अपने देश के प्रति स्वाधीनता की लौ प्रज्ज्वलित हो गयी थी | 

उन्होंने कुछ स्वामिभक्त साथियों का संगठन किया | आयु बढ़ने के साथ विदेशी शासन की बेड़ियाँ तोड़ फेंकने का उनका संकल्प और ज्यादा प्रबल होता गया | 

छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह 14 मई 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पूना में हुआ था |  

हमारे देश में आज भी 19 फरवरी को हर साल छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है |      

Shivaji’s education (शिवाजी की शिक्षा)

शिवाजी का बचपन उनकी माता जिजाऊ माँ साहेब के मार्गदर्शन में बीता | ये सभी कलाओं में माहिर थे, छत्रपति शिवाजी बचपन में राजनीति और युद्ध की शिक्षा ली थी | 

उनको अपने बचपन में पारम्परिक शिक्षा कुछ खास नहीं मिली थी, पर वे भारतीय इतिहास और राजनीति से सुपरिचित थे | 

उन्होंने शुक्राचार्य तथा कौटिल्य को आदर्श मानकर कूटनीति का सहारा लेना कई बार उचित समझा था | 

छत्रपति शिवाजी महाराज निर्विवाद रूप से भारत के सबसे महान राजाओं में से एक थे | उनके युद्ध प्रणालियां आज भी आधुनिक युग में अपनाई जाती हैं | 

उन्होंने अकेले  अपने दम पर मुगल सुल्तान को चुनौती दे दी थी | शिवाजी महाराज योद्धा राजा थे और अपनी बहादुरी, रणनीति और प्रशासनिक कौशल के लिए प्रसिद्ध थे |  

Shivaji’s married life (शिवाजी का वैवाहिक जीवन) 

छत्रपति शिवाजी का विवाह 14 मई  सन1640 में सईबाई निंबालकर के साथ लाल महल, पुणे में संपन्न हुआ था | सईबाई भोसले शिवाजी की पहली और प्रमुख पत्नी थी | 

वह अपने पति के उत्तराधिकारी संभाजी की मां थी | शिवाजी ने कुल 8  विवाह किए थे | वैवाहिक राजनीति के जरिए उन्होंने सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाने में सफलता प्राप्त किया |

Names of wives of Shivaji Maharaj (शिवाजी महाराज की पत्नियों के नाम)  

शिवाजी महाराज की 8 पत्नियां थी जिनके नाम इस प्रकार हैं:-  

1. सईबाई  

2. सोयराबाई 

3. पुतलाबाई  

4. सक्वरबाई  

5. काशीबाई जाधव    

6. सगुनाबाई  

7.लक्ष्मीबाई  

8. गुणवतीबाई

Coronation (राज्याभिषेक)

सन 1674 तक उन्होंने उन सभी प्रदेशों पर अधिकार प्राप्त कर लिया था, जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुग़लों को देने पड़े थे | 

पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, लेकिन ब्राह्मणों ने उनका घोर विरोध किया | 

शिवाजी के निजी सचिव बालाजी आव जी ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और उन्होंने काशी में गंगाभ नामक एक ब्राह्मण के पास तीन दूतों को भेजा, लेकिन गंगाभ ने प्रस्ताव ठुकरा दिया, क्योंकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे | 

उसने कहा कि क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभिषेक करेगा | बालाजी आव जी ने शिवाजी का सम्बन्ध मेवाड़ के सिसोदिया वंश से समबंद्ध के प्रमाण भेजे, जिससे संतुष्ट होकर वह रायगढ़ आकर उनका राज्याभिषेक किया |      

Other important events (अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ) और Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography

शिवाजी ने सन 1646  में पुणे के पास तोरण दुर्ग पर अधिकार  प्राप्त कर लिया |

शिवाजी ने 1656 में चन्द्रराव मोरे से जावली जीता |

शिवाजी ने 10 नवंबर, 1659 को अफजल खान का वध किया  |

शिवाजी ने सन 1659 में  बीजापुर पर अधिकार प्राप्त कर लिया |

शिवाजी ने 6 से 10 जनवरी, 1664 में सूरत पर धावा बोला और बहुत सारी धन-सम्पत्ति प्राप्त की |

शिवाजी ने सन 1665 में औरंगजेब के साथ पुरन्धर शांति सन्धि पर हस्ताक्षर किया |

शिवाजी और औरंगजेब के बीच सन 1668 में शांति सन्धि हुई |

शिवाजी ने दूसरी बार  सन 1670 में सूरत पर धावा बोला |

सन 1674 में शिवाजी को रायगढ़ में ‘छत्रपति’की पदवी मिली और रायाभिषेक करवाया | 18 जून को उनकी माताजी जीजाबाई की मृत्यु  हो गई |   

Important events in Shivaji’s Life (शिवाजी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ) 

Conquest of Torna (टोरणा की विजय)  

यह मराठाओं के सरदार के रूप में शिवाजी द्वारा कब्जा किया गया पहला किला था | उन्होंने यह जीत लगभग 16 साल की उम्र में हासिल करके वीरता और दृढ़ संकल्प से अपने शासन की नींव रखी |

टोरणा की विजय ने शिवाजी को रायगढ़ और प्रतापगढ़ फतह करने के लिए प्रेरित किया और इन विजयों के कारण बीजापुर के सुल्तान को चिंता हो रही थी कि अगला नंबर उसके किले का हो सकता है और उसने शिवाजी के पिता शाहजी को जेल में डाल दिया था |         

Shivaji’s Administration (शिवाजी का प्रशासन) 

शिवाजी का प्रशासन काफी हद तक डेक्कन प्रशासनिक प्रथाओं से प्रभावित था | उन्होंने आठ मंत्रियों को नियुक्त किया जिन्हें ‘अस्तप्रधान’ कहा गया था, जो उन्हें प्रशासनिक मामलों में सहायता प्रदान करते थे | 

1. पेशवा: सबसे महत्वपूर्ण मंत्री थे जो वित्त और सामान्य प्रशासन की देखभाल करते थे |

2. मजूमदार (Majumdar): ये अकाउंटेंट होते थे |

3. सुरनवीस या चिटनिस (Surnavis or chitnis): अपने पत्राचार से राजा की सहायता करते थे |

4. दबीर (Dabir): समारोहों के व्यवस्थापक थे और विदेशी मामलों से निपटने में राजा की मदद करते थे |

5. न्यायधीश और पंडितराव: न्याय और धार्मिक अनुदान के प्रभारी थे |

Death of Chhatrapati Shivaji (छत्रपति शिवाजी की मृत्यु)

सन 1677-78 में शिवाजी का ध्यान कर्नाटक की ओर गया | बम्बई के दक्षिण में कोंकण, तुंगभद्रा नदी के पश्चिम में बेळगांव तथा धारवाड़ का क्षेत्र, मैसूर, वैलारी, त्रिचूर तथा जिंजी पर अधिकार करने के बाद 3 April 1680 को शिवाजी का देहान्त हो गया | बताया जाता है कि जहर देने के कारण छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु हुई थी |      

Conclusion (निष्कर्ष)

दोस्तों, इस प्रकार Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography पढने से स्पष्ट होता है कि वे एक न केवल एक कुशल सेनापति, एक कुशल रणनीतिकार और एक चतुर कूटनीतिज्ञ थे | 

बल्कि एक कट्टर देशभक्त भी थे | उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए औरंगजेब जैसे बड़े मुग़ल शासक से भी दुश्मनी मोल ली थी |    

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography की जानकारी दी है | 

आपको यह जानकारी अच्छी लगी, तो यह आप अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर Share कर सकते हैं | 

तो फिर मिलते हैं आपसे अगले आर्टिकल में एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए आप zeebiz.in पर हमारे साथ जुड़े रहें | धन्यवाद !

यह भी पढ़ें:-https://zeebiz.in/pan-aadhaar-link-process/