Ayurvedic lifestyle | स्वस्थ जीवन शैली के लिए अपनाएं आयुर्वैदिक लाइफ़स्टाइल

साथियों, आयुर्वेद भारत की धरोहर है | Ayurvedic lifestyle को जानने के लिए आपका स्वागत है | इस लेख के माध्यम से आज हम जानेंगे आयुर्वेद अपनाएं और स्वस्थ रहें | 

अगर हम हर दिन आयुर्वेद की कुछ बातों को मान लें, रहन-सहन और खान-पान पर थोड़ा ध्यान दें तो तन-मन से जुड़ी समस्याओं की गिनती में बड़ी कमी आ जाएगी |

इसे अपनी जिंदगी का थोड़ा-सा भी हिस्सा बना लें तो कुछ दिनों में ही असर दिखने लगता है | कुछ ऐसी ही काम की बातों का सार आपको इस लेख में मिलेगा | 

अगर आप स्वस्थ और तंदुरुस्त रहना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है | तो आइए Ayurvedic lifestyle को विस्तार से जानते हैं | 

वैसे तो आयुर्वेद में तमाम तरह की बीमारियों और इलाज का जिक्र है | लेकिन सबसे पहले आयुर्वेद की कोशिश होती है कि किसी को बीमार ही न पड़ने दें | 

इसके लिए खानपान और सही रहन-सहन की जरूरत होती है | अगर कोई व्यक्ति अपना खानपान सही रखे तो उसे किसी भी तरह की दवा की जरूरत शायद ही पड़े | 

आयुर्वेद की नजर में हर दिन की सही डाइट सुपर फूड की तरह है | आयुर्वेद यह भी कहता है कि हर व्यक्ति की प्रकृति अलग-अलग होती है | 

इसलिए एक ही नियम सभी पर लागू नहीं होते, फिर भी कुछ चीजें कॉमन हो सकती हैं | आजकल बीमारियां कुछ तेज रफ्तार से कम उम्र वालों को भी लपेटे में ले रही है | 

इसमें शुगर, बीपी, थायराइड, गैस की परेशानी, ज्वाइंट पेन आदि शामिल हैं | आयुर्वेद इन बीमारियों को क्रॉनिक यानी खतरनाक होने से पहले रोकने में पूरी तरह सक्षम है | 

आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा जिसे जिसे सर्जरी कहते हैं विस्तार से बताया गया है | पाइल्स और फिस्टुला की सर्जरी के लिए आयुर्वेद आज भी बेहतर विकल्प है | 

पिछले 10 से 12 साल की बात करें तो आयुर्वेद में सैकड़ों रिसर्च हुई है | हजारों मरीजों का डाटा उपलब्ध है, जिन्हें शानदार पैदा हुआ है | 

हां, इन रिसर्च का मुख्य आधार आयुर्वेद के निम्न तीन ग्रंथ हैं:- 

1) मेडिसिन के लिए: चरक संहिता  

2) सर्जरी के लिए: सुश्रुत संहिता  

3) बच्चों के लिए: कश्यप संहिता  

इनके अलावा वाग्भट लिखित ‘अष्टांग हृदयम’ भी है | इसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता को मिलाकर तैयार किया गया है | 

इसमें हृदय रोग के बारे में भी विस्तार से बताया गया है, यह सभी ग्रंथ मूल रूप से संस्कृत में लिखे गए हैं | 

वैद्य मरीज में क्या क्या देखते हैं 

जब कोई व्यक्ति किसी वैद्य को अपनी परेशानी बताता है तो प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ योगरत्नाकर के अनुसार,वैद्य उस व्यक्ति की 8 चीजों का निरीक्षण करते हैं | 

1) नाड़ी (प्लस)   

2) मूत्र (यूरिन) 

3) मल (स्टूल)   

4) जीभ  

5) शब्द (आवाज नरम है या सख्त) 

6) स्पर्श (शरीर का तापमान)  

7) आंख    

8) आकृति (शरीर की बनावट और चाल धाल) 

वैद्य को  इनके परीक्षण से बीमारी के बारे में कई चीजों का पता चल जाता है  |  

कितनी तरह की प्रकृति  

Ayurvedic lifestyle में किसी भी व्यक्ति की प्रकृति की बड़ी अहमियत है | इसमें कई लक्ष्यों पर गौर किया जाता है | मूल रूप से प्रकृति 3 तरह की होती हैं जैसे:-  

1) वात 

2) पित्त  

3) कफ  

वैसे तो अधिकतर लोगों में दो तरह की प्रकृति मिक्सिंग होती है | पर उनमें भी कोई एक प्रकृति ज्यादा प्रभावी होती है |

आयुर्वेद की सीमाएं क्या है   

1) हार्ट अटैक की गंभीर स्थिति आने पर एलोपैथी ज्यादा बेहतर तरीके से काम करती हैं |

2) दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने पर आयुर्वेद के पास फिलहाल ज्यादा ऑप्शन नहीं है | 

3) कैंसर की तीसरी या चौथी स्टेज में भी सीमित विकल्प होते हैं | 

Ayurvedic lifestyle के अनुसार सेहतमंद रहना है तो इन बातों का रखें ध्यान 

आप प्रत्येक दिन भरपूर नींद लें जो 6 से 7 घंटे तक की हो सकती है | पर इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि हमें सूर्योदय से पहले उठना है | 

अगर कोई व्यक्ति सूर्योदय के बाद भी सोया रहता है तो उसके शरीर में कफ बढ़ता है यानी साइनस, जुकाम, वजन बढ़ने जैसी परेशानी हो सकती है |

अगर किसी की नींद रात को पूरी ना हुई हो तो जितने घंटे कम सोए हैं, इसका आधा समय दूसरे दिन दोपहर में सो लें |

उदाहरण के लिए अगरआप रात में 4 घंटे ही सो पाए हैं तो दूसरे दिन दोपहर को एक से डेढ़ घंटा सो सकते हैं | 

नींद से हमें अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है जिस व्यक्ति की नींद गहरी और अच्छी हो, उसकी इम्युनिटी भी अच्छी होती है |  

अच्छे lifestyle के लिए आहार में क्या शामिल करें  

खाना ऐसा हो जो शरीर को पचाने के लिए आसान हो | अगर किडनी पेशेंट नहीं है तो हर दिन 2 से 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए | 

खाना खाने के 40 से 50 मिनट बाद ही पानी पिएं | Ayurvedic lifestyle के अनुसार प्रत्येक दिन आहार में 6 चीजें जरूर शामिल होनी चाहिए | 

अनाज: आयुर्वेद में अनाज के लिए गेहूं का कहीं वर्णन नहीं है | इसमें सिर्फ चावल की बात है | इसमें भी पुराने चावल को बेहतरीन माना गया है | जौ की भी चर्चा है | 

दाल: छिलके वाली मूंग की दाल को बेहतर माना गया है | अगर छिलके वाली मूंग की दाल ना मिले तो धूलि यानी बिना छिलके वाली मूंग की दाल भी खा सकते हैं | 

हफ्ते में 4 से 5 दिन मूंग की दाल और एक-एक दिन मसूर, अरहर और चने की दाल खा सकते हैं | 

नमक: नमक में सेंधा नमक को सबसे ज्यादा बेहतर माना गया है | वैसे नमक जितना कम खाएं, उतना ही अच्छा | हर दिन एक चम्मच यानी 5 ग्राम से ज्यादा नमक न लें |  

आंवला: यह विटामिन-सी का सबसे बढ़िया स्रोत है | 

शहद: जंगल से निकाला हुआ या नहीं जंगली शहद भी शरीर के लिए जरूरी है | डिब्बाबंद शहद को जांच परख कर ही खाना चाहिए | 

दूध-घी: आपके भोजन में दूध-घी किसी न किसी रूप में जरूर शामिल होने चाहिए | 

व्यायाम है जरूरी   

व्यायाम में ब्रिस्क वॉक और योग आदि सभी शामिल हैं | आप व्यायाम जब भी करें, खाली पेट ही करें | शरीर के साथ जबरदस्ती ना करें | 

वॉक,एक्सरसाइज तब तक करें, जब तक बगल से पसीना ना निकले | अगर शरीर के किसी अंग में दर्द होने लगे तो एक्सरसाइज रोक देनी चाहिए | 

वैसे सभी लोगों के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है | इसलिए क्षमता भी अलग-अलग होती हैं,इसलिए दूसरे की कॉपी ना करें | 

सर्दियों में कुछ ज्यादा वक्त तक एक्सरसाइज की जा सकती है | वहीं गर्मियों में कम समय तक करनी चाहिए, इस मौसम में शरीर वैसे भी गर्म रहता है |  

अभ्यंग यानी मालिश:आयुर्वेद में इसका बड़ा महत्व बताया गया है | इसे हर दिन नहाने से पहले करने के लिए कहा गया है | 

मालिश करने से शरीर में स्किन की बीमारी, खून से जुड़ी बीमारी और ज्वाइंट पेन जैसी परेशानी होने की आशंका कम हो जाती है | 

इसलिए सर्दियों में तिल के तेल से और गर्मियों में सरसों या नारियल के तेल से अवश्य मालिश करना चाहिए |  

नींद लाने में कारगर: मालिश करने से अच्छी नींद भी आती है | जिन लोगों को नींद आने की परेशानी है, ऐसे लोगों के लिए मालिश बहुत फायदेमंद होता है | 

सोने से पहले कुछ देर की मालिश कारगर है | साथ में अगर आप भैंस का एक गिलास दूध पी ले तो नींद जल्दी आ जाती है |  

हर दिन का रूटीन कैसा होना चाहिए 

उठना: नींद पूरी करने के बाद सूर्योदय से पहले बिना अलार्म के  ही उठें |  

नित्य क्रिया से पहले: जितनी जरूरत हो, आप उतना पानी पी सकते हैं | सर्दियों में हल्का गुनगुना और गर्मियों में घड़े का पानी पीना चाहिए | जबरदस्ती एक साथ 2 से 3 लीटर पानी ना पिएं | 

दंतधावन: फ्रेश होने के बाद दांतो की सफाई करें | आयुर्वेद में पूरे मुंह की सफाई के लिए गंडूसा क्रिया की बात की गई है | इसके लिए नारियल या तिल का तेल कारगर है | 

इसे मुंह में कुल्ला करने की तरह घुमाकर 2 मिनट बाद फेंक देते हैं | इससे मुंह के अंदरूनी हिस्से की भी सफाई हो जाती है | 

एक्सरसाइज: आप प्रत्येक दिन आधे घंटे तक कसरत कर सकते हैं | 

अभ्यंग: यानी मालिश | इसे नहाने से 20 मिनट पहले करें | वैसे तो हर दिन मालिश करनी चाहिए | अगर हर दिन न कर पाएं तो हफ्ते में एक-दो दिन भी करने से फायदा होगा | 

स्नान: सर्दियों में गुनगुने पानी और गर्मियों में नॉर्मल पानी से खाली पेट स्नान करना चाहिए | ध्यान रहे कि सिर पर गर्म पानी ना डालें |

ध्यान / प्रार्थना: मन को शांत रखने, मानसिक रूप से मजबूती पाने के लिए ध्यान और प्रार्थना जरूरी है | कुछ वक्त इसके लिए भी जरूर निकालना चाहिए | 

ब्रेकफास्ट या लंच: जिन लोगों को सुबह ही ऑफिस जाना होता है, वह सुबह 9:00 से 10:00 के बीच ब्रेकफास्ट या लंच ले सकते हैं | 

अगर आप इस समय लंच कर रहे हैं तो ब्रेकफास्ट छोड़ दें | जो भी लें, घर का बना हुआ ही लें |  

नाश्ता: इसमें नमकीन या मीठा दलिया, उपमा आदि ले सकते हैं | बाहर का नाश्ता या लंच करने से बचें | 

लंच:  इसमें चावल या मिलेट्स की रोटी गर्मी है तो मिलेट्स में राखी अच्छा विकल्प होगा | सर्दियों में ज्वार या बाजरे की रोटी बेहतर है | 

इसके अलावा मूंग की छिलके वाली दाल, मौसमी सब्जी समेत उन सभी 6 चीजों को शामिल करने की कोशिश करें जिनकी चर्चा आहार में पहले की जा चुकी है |

कोशिश ना करें कि खाने को दोबारा गर्म करके न खाना पड़े | अगर सुबह का नाश्ता करके लंच साथ लेकर जाना है तो गर्म करके खा सकते हैं | 

स्नैक्स: इसके लिए आप एक या दो मौसमी फल या एक प्लेट सलाद या फिर एक कटोरी भुने हुए मखाने ले सकते हैं | 

डिनर:  डिनर आप सूर्यास्त के कुछ समय के अंदर कर लें | शाम में 7:00 से 8:00 का वक्त सही है इस वक्त हल्का खाना ले | 

मिलेट्स की रोटी या चावल साथ में सब्जी और दाल ले सकते हैं | आयुर्वेद में शाम के भोजन के बाद कम से कम 100 कदम चलने की बात कही गई है |

वहीं  खाने और सोने के बीच कम से कम 2 घंटे का गैप जरूर रखें | जो Ayurvedic lifestyle के लिए अत्यंत जरूरी है | 

क्या-क्या कम लें, न लें, न करें  

मैदे का उपयोग न करें, अगर लेना ही पड़े तो बहुत कम मात्रा में लें | जिस दिन मैदे से बनी चीजें याद जंक फूड खाना पड़े, उस दिन पानी की कुछ मात्रा बढ़ा दें | 

रिफाइंड, चीनी नमक आदि से दूरी रखें या कम इस्तेमाल करें | केले और आम के साथ दूध ना लें | कई लोग पराठे के साथ चाय ले लेते हैं ऐसा नहीं करें | पराठे के साथ दही ठीक है पर चाय नहीं | 

दूध के साथ अचार ना लें | लहसुन, प्याज के साथ दूध नहीं, पनीर ले सकते हैं | खाना खाते समय बात ना करें | इस दौरान हंसना भी नहीं चाहिए | 

खाने के दौरान फोकस खाने पर ही होना चाहिए यानी टीवी या मोबाइल देखते हुए या कुछ पढ़ते हुए हरगिज़ ना खाएं |  ऐसा करने से खाना शरीर में सही तरीके से नहीं लगता है |  

निष्कर्ष:- 

उपरोक्त लेख के माध्यम से हमने Ayurvedic lifestyle से संबंधित तथा और भी कई जानकारी दी है | उम्मीद है कि आपको स्वास्थ्य संबंधित यह लेख पसंद आया होगा  | 

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