Bhaiya duj ke din kyu hoti hai chitragupta puja

जानिए कायस्थ ही क्यों करते हैं चित्रगुप्त पूजा

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को चित्रगुप्त पूजा किया जाता है | इसे लोग यम द्वितीया भी कहते हैं | इस दिन यम को बहन यमुना से वरदान मिला था | 

जो भाई अपनी बहन के यहां जाकर इस दिन माथे पर तिलक लगाएगा और बहन के हाथों से बना हुआ भोजन खाएगा उसे अकाल मृत्यु का डर नहीं रहेगा |

इस दिन कायस्थ अपने आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त का पूजन करते हैं | अगर आप यह जानना चाहते हैं कि Bhaiya duj ke din kyu hoti hai chitragupta puja तो इस लेख को अवश्य पढ़ें | 

तो आईए जानते हैं Bhaiya duj ke din kyu hoti hai chitragupta puja ? 

भगवान चित्रगुप्त जी ब्रह्मा जी के 11000 वर्षों की तपस्या के बाद उनके काया से उत्पन्न हुए और उनके वंशज को कायस्थ कहा जाता है | कायस्थ भारत के अतिरिक्त नेपाल एवं अन्य देशों में भी हैं | 

भगवान चित्रगुप्त सतयुग में प्रकट हुए और उनकी पूजा का कहानी त्रेता युग के भगवान विष्णु के अवतार रामचंद्र जी से जुड़ा हुआ है | जब भगवान राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे |

तब उनके खड़ाऊं को राज सिंहासन पर रखकर राज्य चला रहे राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान राम के राजतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को संदेश भेजने की व्यवस्था करने को कहा | 

गुरु वशिष्ठ ने यह काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्य तिलक की तैयारी शुरू कर दी | ऐसे समय में जब राजतिलक में सभी देवी देवता आ गए तब भगवान राम ने अपने अनुज भरत से पूछा चित्रगुप्त दिखाई नहीं दे रहे हैं | 

इस पर जब खोजबीन हुई तो पता चला कि गुरु वशिष्ट के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमंत्रण पहुंचाया ही नहीं था | जिसके चलते भगवान चित्रगुप्त नहीं आए | 

कायस्थ लोग दीपावली की पूजा के पश्चात कलम दावत क्यों रख देते हैं ?

भगवान चित्रगुप्त सब जान तो चुके थे और इसे भी नारायण के अवतार प्रभु राम की महिमा समझ रहे थे | उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को क्षमा करते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा-जोखा लिखने वाली कलम को उठाकर किनारे रख दिया | 

सभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो उन्होंने देखा कि स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गए  हैं,और वह आश्चर्यचकित हो गए |

प्राणियों का लेखा-जोखा ना लिखे जाने के चलते यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा था कि किसको किस लोक में भेजें | 

तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमा याचना की |

इसके बाद नारायण रूपी भगवान राम के आदेश मानकर भगवान चित्रगुप्त ने पुनः कलम दावत की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा-जोखा लिखने का कार्य आरंभ किया | 

Bhaiya duj ke din kyu hoti hai chitragupta puja पूरी जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ते रहिए | अयोध्या में भगवान विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर जिसे श्रीधर्म हरि मंदिर कहा जाता है | 

मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों को अनिवार्यत: श्रीधर्म हरि जी के दर्शन करना चाहिए अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्य फल प्राप्त नहीं होता है | 

इसलिए कायस्थ लोग दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और यम द्वितीया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात का पूजन करके ही कलम को धारण करते हैं |

गुरु वशिष्ठ जो ब्राह्मण कुल से हैं और भगवान राम जो क्षत्रिय कुल में अवतार लिए थे,दोनों ने भगवान चित्रगुप्त का स्मरण किया और पूजा किया | 

इसलिए चित्रगुप्त के वंशज कायस्थ, ब्राह्मणों के लिए भी पूज्यनीय हुए | इस घटना के पश्चात मिले वरदान के फल स्वरुप सबसे दान लेने वाले ब्राह्मणों से भी दान लेने का अधिकार

कायस्थ को ही है | 

साथियों, इस लेख के माध्यम से हमने Bhaiya duj ke din kyu hoti hai chitragupta puja की जानकारी दी है | अब आप जान गए होंगे कि भैया दूज के दिन क्यों होती है चित्रगुप्त की पूजा ? 

आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो सोशल मीडिया पर तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं | अगली जानकारी के लिए हमारे साथ zeebiz.in पर बने रहिए | धन्यवाद !

यह भी पढ़ें :-https://zeebiz.in/ram-mandir-ayodhya-darshan/