Madhubani art state | दिल्ली हाट के तर्ज पर मधुबनी में खुला मिथिला हॉट

धार्मिक पर्यटन के लिहाज से पूरा बिहार एक अंतरराष्ट्रीय धर्म स्थल है | इसके अलावा दक्षिण बिहार में प्राकृतिक पर्यटन स्थलों का भरमार है | नीतीश सरकार के शासन में राज्य के मगध क्षेत्रों के पर्यटन स्थलों के विकास पर ध्यान दिया गया है | वहीं दूसरी तरफउत्तरी बिहार अपने Madhubani art state और सांस्कृतिक धरोहर के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है | 

मिथिला की  संस्कृति Madhubani art state को बिना किसी सरकारी सहायता और मार्केटिंग के वहां के लोगों ने जिंदा रखा है | सरकारी स्तर पर उसको जितना सहयोग मिलना चाहिए था वह उसे नहीं मिला | यही कारण है कि मिथिला साहित्य, कला और संस्कृति का मूल्य देश से बाहर ज्यादा है | 

अच्छी बात है कि देर से ही सही सरकार की नजर Madhubani art state के तरफ पर रही है | बिहार में मधुबनी पेंटिंग के लिए शोध संस्थान बन रहा है तो हाल में ही बिहार के मधुबनी में मिथिला की संस्कृति और कला को बढ़ावा देने के लिए मधुबनी हाट खोला गया है | 

देश की राजधानी स्थित दिल्ली हाट आप कभी जाइए तो वहां भी आपको चारों तरफ मिथिला संस्कृति से जुड़े प्रोडक्ट मिलेंगे | बिहार की कला को बिहार में ही सम्मान नहीं था | यह देख कर खुशी हुई कि देर से ही सही, सरकार ने एक जरूरी और सराहनीय काम किया है |      

मधुबनी पेंटिंग (मिथिला पेंटिंग) पारंपरिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के मिथिला क्षेत्र में विभिन्न समुदायों की महिलाओं द्वारा बनाई गई थी | इसकी उत्पत्ति बिहार के मिथिला क्षेत्र के मधुबनी जिले से हुई है |           

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झंझारपुर स्थित मिथिला हाट की सौगात मिथिलांचल के लोगों को दी है | नीतीश अपनी समाधान यात्रा के क्रम में मधुबनी पहुंचे और दिल्ली हाट की तरह बने मिथिला हाट का उद्घाटन और निरीक्षण किया |

राष्ट्रीय राजमार्ग 57 के किनारे  मिथिला हाट में कुल 50 दुकानें  

इसके अलावा कैफेटेरिया की भी सुविधा उपलब्ध है | करीब 26 एकड़ में फैले मिथिला हाट को बनाने में करीब 13 करोड़ रुपए की लागत आई है | इस मौके पर बिहार के जल संसाधन व सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा सहित कई नेता भी उपस्थित थे |

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि Madhubani art state मिथिला हाट बन जाने के बाद यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा | उन्होंने कहा कि लोग यहां की कला और संस्कृति को देखने आयेंगे | राष्ट्रीय राजमार्ग 57 के किनारे  मिथिला हाट में कुल 50 दुकानें बनी है और एक तालाब का भी जीर्णोद्धार किया गया है |

इधर झा ने आज के दिन को मिथिलांचल के लिए ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि मिथिला की कला-संस्कृति, सभ्यता एवं खानपान से देश-दुनिया के पर्यटकों को रू-ब-रू कराने के उद्देश्य से अररिया संग्राम, झंझारपुर (मधुबनी) मे मिथिला हाट बनाया गया है |   

उन्होंने कहा कि इसकी सांस्कृतिक विरासत काफी समृद्ध है | मिथिला हॉट बनने से आसपास के इलाके के लोगों को रोजगार मिलेगा | मुख्यमंत्री इस दौरान कई विकास योजनाओं को भी देखा और अधिकारियों के साथ समीक्षा की और अधिकारियों को कई निर्देश भी दिए |  

मधुबनी चित्रकला

मधुबनी पेंटिंग कई प्रसिद्ध भारतीय कला रूपों में से एक है | जैसा कि Madhubani art state यह बिहार और नेपाल के मिथिलांचल क्षेत्र में प्रचलित है, इसे मिथिला पेंटिंग यामधुबनी कला कहा जाता है | इन पेंटिंग को त्योहारों, धार्मिक अनुष्ठानों आदि सहित विशेष अवसरों के लिए अनुष्ठान सामग्री का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है | 

मधुबनी चित्रकला में उपयोग किए जाने वाले रंग आमतौर पर पौधों और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं | ये रंग अक्सर चमकीले होते हैं और लैम्पब्लैक और गेरू जैसे पिगमेंट का उपयोग क्रमशः काला और भूरा बनाने के लिए किया जाता है | समकालीन ब्रश के बजाय, पेंटिंग बनाने के लिए टहनियाँ, माचिस और यहाँ तक कि उंगलियों जैसी वस्तुओं का उपयोग किया जाता है |        

इतिहास और विकास

मधुबनी पेंटिंग की उत्पत्ति बिहार के मिथिला क्षेत्र में हुई थी | मधुबनी पेंटिंग के कुछ प्रारंभिक संदर्भ हिंदू महाकाव्य रामायण में पाए जा सकते हैं, जब सीता के पिता राजा जनक ने अपने चित्रकारों से अपनी बेटी की शादी के लिए मधुबनी पेंटिंग बनाने के लिए कहा | 

यह ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ता गया और चित्र इस क्षेत्र के घरों की शोभा बढ़ाने लगे | गाँव की महिलाएँ अपने-अपने घर की दीवारों पर इन चित्रों का अभ्यास करती हैं | उनके चित्र अक्सर उनके विचारों, आशाओं और सपनों को चित्रित करते थे |

समय के साथ, मधुबनी पेंटिंग उत्सवों और शादियों जैसे विशेष आयोजनों का हिस्सा बन गई | धीरे-धीरे, इस कला ने लोगों को आकर्षित किया क्योंकि भारतीय कलाकारों ने कला को वैश्विक मंच पर ले लिया | पलस्तर वाली मिट्टी की दीवार के पारंपरिक आधार को जल्द ही हस्तनिर्मित कागज, कपड़े और कैनवास से बदल दिया गया | चूँकि चित्र एक सीमित भौगोलिक सीमा तक ही सीमित हैं, विषय और शैली कमोबेश एक ही हैं |  

शैली और डिजाइन

मधुबनी पेंटिंग शुरू में लोगों के विभिन्न संप्रदायों द्वारा प्रचलित थीं और इसलिए चित्रों को तांत्रिक, कोहबर, भरनी, गोदना, कटचनी जैसी पांच अलग-अलग शैलियों में वर्गीकृत किया गया था | लेकिन आज इन पांच अलग-अलग शैलियों को समकालीन कलाकारों ने मिला दिया है | 

इन चित्रों में प्रयुक्त विषय अक्सर कृष्ण, राम, लक्ष्मी, शिव, दुर्गा और सरस्वती जैसे हिंदू देवताओं के इर्द-गिर्द घूमते हैं | साथ ही, सूर्य और चंद्रमा जैसे आकाशीय पिंड अक्सर मधुबनी चित्रों का केंद्रबिंदु बनते हैं | शाही दरबारों और शादियों जैसे सामाजिक कार्यक्रमों के दृश्यों पर आधारित पेंटिंग भी मिल सकती हैं | 

इन चित्रों में ज्यामितीय पैटर्न का उपयोग बहुत अधिक स्पष्ट है | यह तथ्य कि मधुबनी चित्रों में इन जटिल गणितीय प्रतिमानों का उपयोग किया गया था, उन्हें और अधिक पेचीदा और विशेष बनाता है | इन चित्रों को उनकी सादगी के लिए भी जाना जाता है, क्योंकि इस्तेमाल किए गए ब्रश और रंग अक्सर प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं | 

जबकि चित्रों को बड़े पैमाने पर पाउडर चावल, हल्दी, पराग, रंजक, इंडिगो, विभिन्न फूल, चंदन, और विभिन्न पौधों और पेड़ों की पत्तियों आदि से प्राप्त रंगों का उपयोग करके बनाया जाता है | साथ ही, कई प्राकृतिक स्रोतों को मिलाया जाता है और वांछित प्राप्त करने के लिए संसाधित किया जाता है | 

रंग अक्सर कलाकारों द्वारा स्वयं तैयार किए जाते हैं | यदि पेंटिंग पूरी करने के बाद भी कलाकारों को खाली स्थान मिलते हैं, तो वे आमतौर पर उन खाली जगहों को फूलों, जानवरों, पक्षियों और ज्यामितीय पैटर्न के रूपांकनों से भर देते हैं | एक दोहरी रेखा आमतौर पर सीमा के रूप में खींची जाती है |        

आधुनिक समय में मधुबनी पेंटिंग

मधुबनी कला वर्तमान बिहार के रांटी नामक गांव में लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है | गांव में इस कला का अभ्यास करने वाली महिलाएं इसे सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के अवसर के रूप में उपयोग करती हैं | 

अन्य महिलाओं को मधुबनी पेंटिंग का महत्व सिखाने में कर्पूरी देवी, महालक्ष्मी और दुलारी जैसे कलाकार अहम भूमिका निभा रहे हैं | उनके कार्यों को जापान के एक संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है | साथ ही, मिथिला के पास कई संस्थाएँ हैं जो युवा कलाकारों को मधुबनी पेंटिंग सिखाती हैं | 

मधुबनी जिले में बेनीपट्टी, रांटी में ग्राम विकास परिषद और मधुबनी में वैदेही इस कला को सिखाने वाले कुछ प्रमुख केंद्र हैं | कलाकार भारती दयाल का नई दिल्ली में एक स्टूडियो है | हाल में ही बिहार के मधुबनी में मिथिला की संस्कृति और कला को बढ़ावा देने के लिए मधुबनी हाट खोला गया है | 

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