Khatu shyam ki yatra kaise karen

नमस्कार दोस्तों, Khatu shyam ki yatra kaise karen इस लेख की शुरुआत करने से पहले मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि खाटू श्याम (मंदिर) कौन से राज्य में स्थित है और यहां कौन से भगवान की पूजा होती है | जिसको पूजने के लिए काफी दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं | पूरी जानकारी के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें |

आइए जानते हैं Khatu shyam ki yatra kaise karen राजस्थान राज्य के सीकर जिले में बसा हुआ एक छोटा शहर है खाटू | खाटू राजस्थान के प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थानों में से एक है जो, खाटू श्याम जी के नाम से प्रसिद्ध है | यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है | जहां पर हर साल लाखों की संख्या में राजस्थान के अलावा भारत के अन्य शहरों और गांव से लोग दर्शन के लिए आते हैं |

Khatu shyam ki yatra kaise karen इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं |   

खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचे (How to reach Khatu Shyam Temple)

साथियों, सबसे पहले आपको यह बता दूं कि Khatu Shyam में ना तो कोई रेलवे स्टेशन और ना ही कोई हवाई अड्डा है | खाटू श्याम जाने के लिए सड़क मार्ग ही सबसे अच्छा रास्ता है | अगर आप सड़क मार्ग केअलावा हवाई यात्रा एवं ट्रेन के माध्यम से भी खाटू जाना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक पढ़ें | 

आपको इन सभी साधनों के द्वारा खाटू श्याम जाने की जानकारी मिल जाएगी | आइए अब जानते हैं कि Khatu shyam ki yatra kaise karen ?       

हवाई यात्रा के द्वारा खाटू श्याम कैसे जाएं (How to reach Khatu Shyam by Air)

अगर आप हवाई यात्रा के द्वारा खाटू श्याम जाना चाहते हैं तो खाटू शहर का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट Jaipur International Airport,जो खाटू शहर से लगभग 93 Km दूर जयपुर शहर में स्थित है | जयपुर एयरपोर्ट से आप टैक्सी के द्वारा खाटू श्याम जा सकते हैं या नहीं तो टैक्सी पकड़कर जयपुर बस स्टैंड जाकर वहां से बस द्वारा खाटू श्याम पहुंच सकते हैं |   

ट्रेन के द्वारा से खाटू श्याम कैसे जाएं (How to reach Khatu Shyam by train)

दोस्तों जैसा कि हमने उपरोक्त लेख में जाना कि Khatu shyam ki yatra kaise karen तो खाटू शहर में रेलवे स्टेशन की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है, इसलिए खाटू श्याम जाने वाले यात्रीअपने शहर से रींगस जंक्शन के लिए ट्रेन की सुविधा ले सकते हैं, जहां से खाटू श्याम की दूरी मात्र 17 किलोमीटर है | रींगस जंक्शन राजस्थान के अलावा सिर्फ मुंबई, सूरत, अहमदाबाद और चंडीगढ़ से ही जुड़ा हुआ है |

अगर आप राजस्थान और ऊपर बताए गए शहरों के अलावा अन्य राज्यों एवं शहरों में रहते हैं, तो आप अपने शहर से जयपुर जंक्शन के लिए ट्रेन की सुविधा ले सकते हैं | जयपुर जंक्शन से खाटू शहर की दूरी करीब 78 Km है | जयपुर से खाटू श्याम के बीच बस एवं टैक्सी की सुविधाएं आपको आसानी से मिल जाएगी |     

बस के द्वारा खाटू श्याम कैसे जाएं (How to get to Khatu Shyam by Bus)

खाटू एक छोटा सा शहर है जिसकी वजह से खाटू श्याम के लिए डायरेक्ट किसी भी शहर से बस की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है, इसलिए बस के माध्यम से खाटू श्याम जाने वाले लोगों को मैं यही  कहूंगा कि वे लोग अपने शहर से जयपुर के लिए बस पकड़ लें, जहां से खाटू श्याम की दूरी करीब 70 किलोमीटर है |

 जो यात्री राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से खाटू श्याम जाना चाहते हैं, तो वे लोग अपने शहर से जयपुर के लिए बस पकड़ सकते हैं और जयपुर से दूसरी बस पकड़ कर आसानी से खाटूश्याम जा सकते हैं |    

कार और बाइक से से खाटू श्याम कैसे जाएं (How to reach Khatu Shyam by car and bike)

दोस्तों, खाटू श्याम शहर राजस्थान के साथ-साथ भारत के भी छोटे गांव और बड़े शहरों से सड़क मार्ग के द्वारा जुड़ा हुआ है, इसलिए आपको भारत के किसी भी छोटे और बड़े गांवों और शहरों से खाटू श्याम पहुंचने में कोई तकलीफ नहीं होगी | खाटू श्याम में ना तो रेलवे स्टेशन की सुविधा उपलब्ध है और ना ही एयरपोर्ट की, इसलिए यहां पर सिर्फ सड़क मार्ग के माध्यम से ही पहुंच पाना संभव है |

अगर आप खाटू श्याम जाने पर आप कुछ शॉपिंग करना चाहते हैं, तो आप जयपुर में ही अपना शॉपिंग वगैरह कर लें, क्योंकि खाटू श्याम कोई बड़ा शहर नहीं है, जहां पर आपको सभी चीजें मिल जाएगी, इसलिए अगर आप खाटू श्याम जा रहे हैं, तो आप शॉपिंग वाली इस बात को ध्यान में जरूर रखें |

खाटू श्याम जी की जीवन कथा (Life story of Khatu Shyam ji)

भारत के राजस्थान राज्य में सबसे प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में से एक है ‘खाटू श्याम जी’ का मंदिर | जो मुख्य रूप से बर्बरीक नाम के महाभारत के दानव को समर्पित है | इसीलिए खाटू श्याम जी की जीवन कथा की शरुआत महाभारत से शुरू होती है | 

आपको बता दें कि पहले खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था | वे अति बलवान गदाधारी भीम और नाग कन्या मौरवी के पुत्र थे | इसलिए उन्हें मोरवी नंदन भी कहा जाता है |

बचपन से ही उनमें वीर योद्धा बनने के सभी गुण थे | उन्होंने युद्ध करने की कला अपनी मां और श्रीकृष्ण से सीखी थी | उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या करके तीन बाण प्राप्त किए थे | ये तीनों बाण उन्हें तीनों लोकों में विजयी बनाने के लिए काफी थे | 

एक बार जब उन्हें पता चला कि कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत युद्ध होने वाला है, तो उन्होंने भी युद्ध में शामिल होने की इच्छा जताई | इसके लिए जब वे अपनी मां के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे तो उन्होंने अपने मां को हारे हुए पक्ष की ओर से युद्ध लड़ने का वचन दिया |             

जब उन्हें बर्बरीक के इस वचन का पता चला तो वे ब्राह्मण का रूप धारण कर उनका मजाक उड़ाने लगे और कहने लगे कि वे तीन बाण से क्या युद्ध लड़ेंगे | तब बर्बरीक ने कहा कि उनका एक बाण ही शत्रु सेना को मारने के लिए काफी है, ऐसे में अगर उन्होंने तीन तीरों का इस्तेमाल किया तो ब्रह्मांड का विनाश हो जाएगा | 

ये जानकर भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को चुनौती दी कि एक बाण से  पीपल के इन सभी पत्तों को वेधकर बताओ | बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार कर ली | उनकी परीक्षा लेने के लिए श्रीकृष्ण ने एक पत्ती अपने पैरों के नीचे दबा लिया | बर्बरीक ने एक बाण से पीपल के सभी पत्तियों पर निशान कर दिए और श्रीकृष्ण के पैरों के पास चक्कर लगाने लगे | 

फिर बर्बरीक ने श्रीकृष्ण से कहा कि एक पत्ता आपके पैर के नीचे दबा हुआ है, अपने पैर हटा लीजिए वरना आपके पैरों पर चोट लग जाएगी |                  

इसके बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि वे महाभारत के युद्ध में किस पक्ष की तरफ से शामिल होंगे | बर्बरीक ने जवाब दिया कि जो पक्ष हारेगा वे उनकी तरफ से युद्ध लड़ेंगे | श्रीकृष्ण तो जानते थे कि युद्ध में हार तो कौरवों की होनी है, ऐसे में अगर बर्बरीक ने उनके साथ यद्ध लड़ा तो गलत परिणाम सामने आ सकते हैं | 

उन्होंने बर्बरीक को युद्ध लड़ने से रोकने के चेष्टा की, और उनसे दान की मांग व्यक्त की | दान में उन्होंने बर्बरीक का शीश मांग लिया | बर्बरीक ने कहा कि मैं अपने शीश का दान अवश्य दूंगा | उन्होंने श्रीकृष्ण के चरणों में अपना शीश काट कर रख दिया और उनसे अपनी आखिरी इच्छा व्यक्त की | 

उन्होंने कहा कि वे महाभारत का युद्ध अंत तक अपनी आंखों से देखना चाहते हैं | श्रीकृष्ण ने उनकी इच्छा स्वीकार करते हुए बर्बरीक के शीश को युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी के ऊपर रख दिया जहां से बर्बरीक ने अपनी आंखों से अंत तक महाभारत युद्ध को देखा | 

युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध में जीत का श्रेय किसको जाता है | तब बर्बरीक ने कहा कि श्रीकृष्ण के कारण वे युद्ध जीते हैं | श्रीकृष्ण बर्बरीक के इस बलिदान से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का अनमोल वचन दिया |                   

बर्बरीक से खाटू श्याम नाम कैसे पड़ा (How did the name Khatu Shyam come from Barbarik)

महाभारत युद्ध के बाद बर्बरीक का शीश  खाटू गांव में दफनाया गया था इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है | एक बार खाटू गांव में एक गाय अपने स्तनों से इस जगह पर दूध बहा रही थी, जब लोगों ने देखा तो उनको आश्चर्य हुआ | जब इस की खुदाई की गई, तो यहां बर्बरीक का कटा हुआ शीश मिला | 

इस शीश को एक ब्राह्मण को सौंप दिया गया | वह उसकी रोज उनकी पूजा करने  लगे | एक दिन खाटू नगर के राजा रूपसिंह को स्वप्न आया कि वह मंदिर का निर्माण करें और बर्बरीक का शीश मंदिर में स्थपित करें | 

कार्तिक महीने की एकादशी को बर्बरीक का शीश मंदिर में सुशोभित किया गया, जिसे बाबा खाटू श्याम जी के नाम से जाना जाने लगा, तब से यह मंदिर प्रसिद्ध हो गया | श्याम बाबा को शीश के दानी, हारे के सहारे के नाम से भी जानते हैं | श्याम बाबा के दर्शन के लिए दूरदराज से लोग यहां पर आते हैं |            

खाटू श्याम के चमत्कार (Miracles of Khatu Shyam)

भारत देश के सबसे पूज्यनीय देवी देवतायों में से एक खाटू श्याम जी की हिंदू भक्तों में बहुत मान्यता है | जहाँ भारत देश ही नही बल्कि विदेशो से भी पर्यटक और श्रद्धालु खाटू श्याम के चमत्कार देखने और उनके दर्शन के लिए यहाँ आते है | 

आज कलयुग के समय खाटू श्याम के चमत्कार पुरे देश में चर्चित है मान्यता है की श्याम बाबा से जो भी मांगों, वो लाखों-करोड़ों बार देते हैं, यही वजह है कि खाटू श्याम जी को लखदातार के नाम से भी जाना जाता है | यही वजह है कि आज खाटू श्यामजी देश में करोड़ों भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं |         

खाटू श्यामकुंड का इतिहास (History of Khatu Shyam Kund)

प्राचीन प्रचलित कथायों के अनुसार माना जाता है खाटू श्यामकुंड का निर्माण या उत्पत्ति खुदाई के दौरान हुई थी | जी हाँ, एक बार की बात है लगभग 1100 ईस्वी के आसपास खाटू नगर के राजा रूपसिंह को एक स्वप्न आया था | 

जिसमे उन्हें जमीन के अन्दर गड़ी एक मूर्ति दिखाई दी थी जिसके बाद उस स्थान की खुदाई की गयी थी जिससे वास्तव में खाटू श्याम जी के शीश को निकाला गया था | 

उसी खुदाई से एक कुंड का निर्माण हुआ था जिसे खाटू श्यामकुंड के नाम से जानते हैं | आज जो भक्त श्याम जी के दर्शन को जाते हैं वह पहले इस कुंड में स्नान करते हैं |

साथियों,इस आर्टिकल के माध्यम से हमने Khatu shyam ki yatra kaise karen संबंधित और खाटू श्याम जी की जीवन कथा की जानकारी दी है | आपको यह जानकारी अच्छी लगी, तो यह आप अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर Share कर सकते हैं | 

तो फिर मिलते हैं आपसे अगले आर्टिकल में एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए आप zeebiz.in पर हमारे साथ जुड़े रहें | इस लेख को आपने अंत तक पढ़ा और समझा इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !