Business tips | जानिए,बिजनेस शुरू करने के लिए फर्म बनाएं या कंपनी ?

दोस्तों, किसी भी बिजनेस को शुरू करने से पहले उसे एक रूप देना जरूरी है यानी कह सकते हैं कि फर्म या कंपनी बनानी जरूरी है | Business tips को भली-भांति समझ कर आप अपने देश में कई तरह के बिजनेस कर सकते हैं | अब सवाल यह उठता है कि बिजनेस फर्म बनाकर करें या कंपनी बनाकर ? 

आइए,दोस्तों इस लेख के माध्यम से आज हम Business tips को जानते हैं कौन सी फर्म या कंपनी आपके लिए बेहतर होगी:-   

Sole proprietorship (एकल स्वामित्व) 

यह एक तरह की ऐसी फर्म होती है जिसका मालिक सिर्फ एक ही व्यक्ति होता है | यह व्यक्ति वह हो सकता है जो इसे शुरू करता है | व्यक्तिगत रूप से कारोबार शुरू करने वालों के लिए यह काफी लोकप्रिय है | 

अगर कोई व्यक्ति यह चाहता है कि वह अपने बिजनेस का अकेला मालिक होगा तो वह इसे आसानी से शुरू कर सकता है | वह व्यक्ति दूसरे लोगों को भी अपने बिजनेस में जॉब दे सकता है | Business tips में Sole proprietorship की कुछ खासियत है इस प्रकार है:-  

1) ऐसे बिजनेस में मालिक ही सभी प्रकार के प्रॉफिट, कर्ज और लॉस के लिए जिम्मेदार होता है | 

2) कारोबार का मालिक अपने कारोबार को अपने नाम से भी शुरू कर सकता है | 

कौन कर सकता है यह बिजनेस   

अगर किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त पूंजी है और वह बिजनेस में अपना प्रॉफिट किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहता है तो वह Sole proprietorship फर्म बनाकर बिजनेस शुरू कर सकता है |   

वह व्यक्ति जो बड़े स्तर पर अपना बिजनेस शुरू करना चाहता है लेकिन उसके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है, उसे Sole proprietorship में फर्म बनाकर बिजनेस शुरू नहीं करना चाहिए | 

यह हैं फायदे – नुकसान    

खूबियां – बिजनेस में हुआ प्रॉफिट किसी दूसरे के बीच नहीं  बांटा जाता है | टैक्स भरने में बहुत ज्यादा झंझट नहीं होता और कारोबार को रजिस्टर कराने की भी जरूरत नहीं होती है | 

खामियां – अगर किसी वजह से कर्ज हो जाए तो जिम्मेदारी मालिक की होती है | बिजनेस घाटे में चला जाए मालिक ही पूरी तरह से जिम्मेदार होता है | बिजनेस का विस्तार होने पर बैंक किया दूसरी संस्थाएं लोन नहीं देती है | 

कैसे कराएं रजिस्टर 

इसमें किसी भी सरकारी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है | हां, कुछ लाइसेंस या परमिट की आवश्यकता हो सकती है | जिस शहर में आप कारोबार शुरू करना चाहते हैं, वहां की नगर पालिका या नगर निगम में एक एप्लीकेशन देकर एक प्रमाण पत्र / लाइसेंस ले सकते हैं | 

अगर आपका फूड से संबंधित कारोबार है तो आपको fssai.gov.in की ओर से जारी लाइसेंस, shop and establishment लाइसेंस आदि लेना होगा |   

General partnership (सामान्य साझेदारी)   

यह एक ऐसी फर्म होती है जिसमें एक से ज्यादा व्यक्ति पार्टनर बनकर बिजनेस शुरू कर सकते हैं | इस प्रकार की फर्म को कम से कम 2 और ज्यादा से ज्यादा 20 व्यक्ति मिलकर शुरू कर सकते हैं | कारोबार में किस व्यक्ति की कितनी पार्टनरशिप होगी, यह शुरू में तय कर लिया जाता है | 

अगर किसी व्यक्ति के पास फंड या दूसरी चीजों की कमी है तो वह पार्टनर बनाकर कमी पूरी कर सकता है | Business tips को ध्यान में रखते हुए General partnership की खासियत है इस प्रकार हैं:-  

1) कारोबार में किसी भी प्रकार का नुकसान होने पर उसकी जिम्मेदारी सभी पार्टनर की होती है | 

2) प्रॉफिट होने पर हिस्सेदारी के हिसाब से सभी पार्टनर के बीच में बट जाता है जाता है |  

कौन कर सकता है या बिजनेस   

अगर किसी के पास फंड  या दूसरी चीजों की कमी है तो वह दूसरे लोगों के साथ General partnership बनाकर बिजनेस शुरू कर सकते हैं | ऐसे में उसे ना तो बैंक से लोन लेने की जरूरत पड़ेगी और ना ही जगह के चक्कर रहेंगे |  

ऐसे लोग जो कारोबार में अपना प्रॉफिट किसी दूसरे व्यक्ति के साथ बांटना नहीं चाहते हैं तो उन्हें General partnership फर्म बनाकर दूसरे लोगों के साथ अपना बिजनेस शुरू नहीं करना चाहिए |  

यह है फायदे-नुकसान   

खूबियां – इस प्रकार के कारोबार को शुरू करने के लिए किसी भी प्रकार के रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है | ऑडिट कराने की जरूरत नहीं होती | नुकसान भी पार्टनर में बट जाता है जिससे नुकसान का बोझ खुद पर कम पड़ता है |  

खामियां – पार्टनरशिप में अगर आपका हिस्सेदारी ज्यादा है तो नुकसान होने पर खुद का नुकसान ज्यादा होगा | कारोबार पर आपका पूरी तरह कंट्रोल नहीं रहता | किसी भी लोन या कर्ज को चुकाने के लिए सभी पार्टनररों की पर्सनल संपत्ति को भी बेचा जा सकता है |  

कैसे कराएं रजिस्टर 

पार्टनरशिप में बिजनेस करने के लिए आप 100 रुपए के स्टांप पेपर पर पार्टनरशिप डीड बनवा सकते हैं | पार्टनरशिप डीड को पार्टनरशिप एग्रीमेंट भी कह सकते हैं | इसमें बिजनेस से जुड़े सभी आवश्यक नियम और शर्तों के बारे में लिखा होता है | 

जैसे:- लाभ / हानि, दायित्व का बंटवारा, नए साझेदारों को शामिल करना, नियम, वेतन, पार्टनरशिप से हटने की प्रक्रिया आदि | बाद में इस स्टैंप पेपर को नोटरी कृत करा लिया जाता है |  

Limited liability partnership (सीमित दायित्व भागीदारी)

LLP के तहत दो या दो से अधिक पार्टनर एक स्पेशल एग्रीमेंट बनाते हैं और उनकी समित जिम्मेदारी होती है | LLP को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) के नियमों के अनुसार रजिस्टर कराया जाता है | कोई भी पार्टनर किसी अन्य पार्टनर द्वारा बनाई गई Liability या कर्ज के लिए उत्तरदाई नहीं होता है | 

बिजनेस में लॉस और कर्ज को पार्टनर के बीच आपस में बांटा जा सकता है | Business tips के अनुसार LLP की कुछ खासियतइस प्रकार हैं:-  

1) इस प्रकार की कंपनी में कम से कम 2 सदस्य या पार्टनर शामिल हो सकते हैं | ज्यादा की कोई लिमिट नहीं है |   

2) कंपनी में शामिल पार्टनर में कम से कम एक पार्टनर भारतीय होना चाहिए |   

कौन कर सकता है यह बिजनेस   

अगर कोई व्यक्ति चाहता है कि उसकी कंपनी में Liability यानी किसी भी प्रकार की देनदारी सीमित रहे तो उसे LLP शुरू करनी चाहिए | वही, अगर कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराना है तो उसके लिए भी LLP का ऑप्शन अच्छा हो सकता है |    

अगर आप चाहते हैं कि बिजनेस बढ़ाना है और IOP लेकर आएं और जनता से पैसा जुटाएं तो LLP बनाकर ऐसा नहीं पाएंगे | यही नहीं, LLP में एक पार्टनर दूसरे सभी पार्टनर को उत्तरदाई बना सकता है | 

यह फायदे-नुकसान  

खूबियां – अगर आप चाहें तो शामिल पार्टनर को नुकसान और प्रॉफिट के हिस्सेदार बना सकते हैं और चाहें तो सैलरी पर रख सकते हैं | कंपनी का सालाना टर्नओवर 40 लाख से कम है तो ऑडिट की जरूरत नहीं है | कर्ज चुकाने के लिए पार्टनर्स की संपत्ति नहीं  बेची जा सकती है | 

खामियां – इसमें भी पार्टनर के बीच में टकराव जा बहस होने की आशंका रहती है | कंपनी से जुड़े कई फैसले लेना मुश्किल हो जाता है | कंपनी के मुश्किल हालात होने पर आप कंपनी को खो भी सकते हो |  

कैसे करें रजिस्टर   

LLP बिजनेस रजिस्टर कराने के लिए Ministry of corporate affairs की ऑफिशियल वेबसाइट mca.gov.in पर जाएं | यहां ऊपर राइट साइड में लिखे Sign In /Sign Up पर जाकर खुद को रजिस्टर करना होगा | इसके बाद LLP में रजिस्टर करना होगा | 

Private Limited Company (प्राइवेट लिमिटेड कंपनी)

किसी भी तरह का बिजनेस चलाने के लिए Pvt. Ltd. Company बनाना बहुत ही लोकप्रिय है | इस तरह कारोबार शुरू करने पर अपने बिजनेस को ना केवल बड़े स्तर पर ले जा सकते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर आप बैंक से भी लोन ले सकते हैं | 

Business tips के अनुसार Pvt. Ltd. Company की कुछ खासियत इस प्रकार हैं:- 

1) Pvt. Ltd. Company में कम से कम 2 सदस्य और ज्यादा से ज्यादा 200 सदस्य हो सकते हैं | वहीं कम से कम 2 और ज्यादा से ज्यादा 15 डायरेक्टर होते हैं |  

2) एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 2 से 200 तक शेयर होल्डर हो सकते हैं |     

कौन कर सकता है यह बिजनेस   

वह व्यक्ति जो अपने कारोबार को देश के कोने कोने में ले जाना चाहता है तो उसके लिए प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर बिजनेस करना सही होता है | कंपनी का नाम रजिस्टर होता है और सरकारी मान्यता मिल जाती है | 

जो अपने बिजनेस को एक ही शहर या सीमित दायरे में रखना चाहते हैं, उसके लिए कंपनी किसी काम की नहीं है | साथ ही वे लोग जिनके पास कारोबार चलाने के लिए रकम का बंदोबस्त है और किसी भी रूप से पार्टनर की जरूरत नहीं है | 

यह है फायदे-नुकसान 

खूबियां – प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में लेबिलिटी सीमित होती है | बिजनेस को बढ़ाने के लिए बैंक या दूसरे वित्तीय संस्थान से आप लोन ले सकते हैं | कंपनी को स्केल करना आसान होता है | तथा 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है | 

खामियां – अधिकतम सदस्य संख्या की लिमिट होती है | शेयरधारकों की संख्या 50 से ज्यादा नहीं हो सकती | टैक्स से जुड़े लोग बहुत ज्यादा नहीं होते हैं | शेयर सार्वजनिक रूप से पेश नहीं किए जा सकते हैं | 

कैसे कराएं रजिस्टर  

कंपनी बनाने के लिए Ministry of corporate affairs की ऑफिशल वेबसाइट mca.gov.in पर जाएं | राइट साइड में लिखे Sign In /Sign Up पर जाकर खुदको रजिस्टर करना होगा | इसके बाद MCA Service पर क्लिक करके Company Service पर क्लिक करें,और बताई गई प्रक्रिया को पूरी करें |

Sole Proprietorship को Pvt.Ltd. Company में नहीं बदल सकते 

अक्सर लोग यह सोचते हैं कि शुरुआत में Sole Proprietorship में बिजनेस शुरू करते हैं और बाद में इसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदल लेंगे | लेकिन यह जान लें कि ऐसा संभव नहीं है | 

अगर कोई व्यक्ति अभी Sole Proprietorship में बिजनेस शुरू करने के बाद में Pvt.Ltd. Company में जाना चाहता है तो उसका तरीका है कि वह Sole Proprietorship शुरू करते ही उसी नाम से Pvt.Ltd. Company में रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर दें जिस नाम से फर्म बनाई है | 

जब कंपनी बन जाए तो उसे इधर जीरो ट्रांजैक्शन पर चलाता रहे और घर अपनी Sole Proprietorship फर्म भी चलाता रहे | जब लगे कि अब Sole Proprietorship को कंपनी बनाने का समय आ गया है तो वह Sole Proprietorship को अपनी Pvt.Ltd. Company को बेच दें और कंपनी शुरू कर दें | 

वैसे सही तरीका तो यही है कि शुरुआत सही कंपनी बनाकर काम शुरू किया जाए ताकि काम, ब्रांड का नाम आदि एक जैसे ही रहे |  

Do business even by making NGO (एनजीओ बनाकर भी करें कारोबार)

जरूरी नहीं कि कोई व्यक्ति फर्म या कंपनी बनाकर ही कारोबार शुरू करें | अगर आप समाज में अच्छे बदलाव के लिए बिना किसी प्रॉफिट के काम करना चाहते हैं तो एनजीओ (Non Government Organization) बनाकर सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप के रूप में काम कर सकते हैं | 

जैसे:अगर आप बच्चों के लिए पेंसिल बनाकर बिजनेस करना चाहते हैं तो आप उसे बनाकर मार्केट में बेचेंगे | दुकानदार इन पेंसिल को बच्चों को बेचेंगे | इस प्रकार आप प्रॉफिट कमाएंगे वहीं इसके उल्टे आप पेंसिल बनाकर बच्चों को फ्री में देना चाहते हैं तो यह सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप होगी | 

इसके लिए सरकार और अलग-अलग संस्थाएं आर्थिक मदद करती हैं | NGO का रजिस्ट्रेशन तीन प्रकार से होता है जो निम्न प्रकार है:- 

1.Trust Act 

अलग-अलग राज्यों के हिसाब से अलग-अलग ट्रस्ट एक्ट हैं | किसी भी प्रकार का ट्रस्ट बनाने के लिए उसमें कम से कम 2 ट्रस्टी का होना जरूरी है | ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए संबंधित जिले के SDM या रजिस्ट्रार के ऑफिस में आवेदन देना होता है |  जिन राज्यों में ट्रस्ट एक्ट नहीं है वहां NGO के लिए 1882 ट्रस्ट अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है | 

2.Society Act   

इसमें दो तरह की सोसाइटी होती है | पहली राज्य स्तर की और दूसरी देश के स्तर की | राज्य स्तर के लिए कम से कम 7 लोग सोसाइटी में शामिल होने चाहिए | यह सभी उसी राज्य के हो जिस राज्य में सोसायटी बनानी है | देश के स्तर पर भी 7 लोग जरूरी है लेकिन वह सभी 7 लोग अलग-अलग राज्यों से हो | इसके लिए आपको संबंधित राज्य की Registrar of Societies की वेबसाइट पर जाकर अप्लाई करना होगा |

3.Company Act 

एक कंपनी के तौर पर / कंपनी एक्ट(As a Company Under section 8 of Company Act, 2013) बनाकर भी सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप शुरू की जा सकती है | इसमें कम से कम 2 लोगों की जरूरत होती है | इसमें रजिस्ट्रेशन mca.gov.in पर जाकर किया जाता है | यह सभी प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है | 

Note – विशेष जानकारी या किसी भी तरह की फर्म या कंपनी बनाने के लिए आप किसी CA,CS या एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें | 

साथियों, इस लेख के माध्यम से हमने Business tips की जानकारी विस्तृत रूप से देने की कोशिश की है | उम्मीद है कि आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा | अगर आप भी अपना कोई व्यवसाय खोलना चाहते हैं तो उपरोक्त बातों को ध्यान में रखें | धन्यवाद !

FAQ: 

Q: नाम रजिस्ट्रेशन और कंपनी रजिस्ट्रेशन में क्या फर्क है ? यह रजिस्ट्रेशन किस प्रकार कराएं ? 

Ans: नाम रजिस्ट्रेशन से मतलब ब्रांड  का रजिस्ट्रेशन होता है, जबकि कंपनी रजिस्ट्रेशन से मतलब कंपनी के नाम से है | जैसे-Paytm ब्रांड का नाम है जबकि उसकी कंपनी का नाम One97 Communications Ltd है | आप इन नामों को mca.gov.in पर जाकर रजिस्टर करा सकते हैं | 

Q: अगर कोई कंपनी या लोगो भारत के अलावा दूसरे देश में रजिस्टर है तो क्या मैं वह नाम और लोगो भारत में रजिस्टर करवा सकता हूं ? 

Ans: पहले आप Ministry of Corporate Affairs की वेबसाइट mca.gov.in पर जाकर चेक करें कि वह नाम वहां रजिस्टर है या नहीं | अगर नहीं है तो MCA में रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं | अगर नाम अप्रूव हो जाता है तो आप लोगो के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं |